पत्थर""। ०७/०२/२०२२.
यार तुम भी अजीब हों,
तुम पत्थर हो।
कितने रंग कितने रूप हैं
तुम्हारे कितने स्वरूप हैं
कहीं छोटे कही मोटे
कहीं चट्टान हो।
गुफाओं में बुद्ध बन विराजमान हो।
सच अजीब हो,
कही तहजीब, कहीं सजदा।
कहीं मकान हो।
कहीं काली,कही दुर्गा,
कही राम बन, आदर्श
तो कहीं भक्त हनुमान हो।
शिव लिंग बन भोजपुर में
सच तुम आस्था और ध्यान हो
मेने ही तराशा है तुम्हे
अब तुम भगवान हो।
राकेश श्रीवास्तव पुणे
०७/०२/२०२२.
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