लता (वेल). ०६/०२/२०२२.
तुम स्वर की लता हो।
पतली सी वेल
सातो स्वरो सा रे गा मा पा धा नी
जो चढ़ गई है
भारत के गगन में
हिमालय की चोटी से कश्मीर
की वादियों तक।
चारो दिशाओं मे
कन्याकुमारी के छोर पर
गूंजती तुम्हारी स्वरीली आवाज।
सच तुम्हारे स्वर में ही
खो जाते सारे साज।
देश क्या पूरी दुनिया में
एक सुरीली आवाज़।
सुंगंध की बैल लता हो।
कितने रंग बिरंगे फूलों से
इन्द्रधनुष सा सजाया है।
मां सरस्वती खुद कंठ में विराजमान हो।
हैं स्वर लहरियां विखेरेने बाली
मां लता ।
तुमने प्रेम , विरह,
देश भक्ति, मां, बहन,
दुल्हन,
तुमने सबके लिए गाया हैं।
महल , आवारा, सौदागर,
प्रेम रोग, उत्सव,कितना कुछ याद हैं
मधुबाला, नर्गिश, शर्मीला से लेकर
माधुरी ,काजोल, करिश्मा,
सबको अपना स्वर दिया हे।
ऐ मेरे वतन के लोगो ,जरा याद करो कुर्बानी ,
ये अजर अमर गीत सुनकर
सबकी आंखे नम हो जाती हे
तुम लता हो। स्वरों से लदी एक वेल।
आज से तुम ब्रह्मलोक में अपने
स्वर सजाओगी।
जिसने तुमको भेजा था
अब उसको ही अपने गीत सुनाओगी
राकेश श्रीवास्तव पुणे।
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