Wednesday, June 23, 2010

‘‘बाबा गांधी’’

अरे बाबा गांधी
ठीक जगह है तुम्हारी समाधि,
श्रद्धा से ना सही
कम से कम पुजते तो हो!

तुम्हारे सिद्धांत, आदर्श
सत्य और अहिंसा के उपदेश,
अच्छे हैं ,खूब बिकते हैं,
अरे अपने क्या, पड़ोसी भी आकर,
तुम्हारी समाधि पर सर झुकाते हैं,
वे अपने स्वार्थ के लिए,
ये अपने स्वार्थ के लिए,
खूब हिंसा करवाते हैं,

अच्छा है,
तुम चिर निद्रा में लीन हो,
फिर से जन्म मिले तो
इस देश में मत आना,

अब कोई नाथूराम नही भेदेगा तुम्हारा सीना,
तुम्हें पूजने वाले ही कर देंगे
तुम्हारा मुश्किल जीना,

तुम्हारे आदर्श,सिद्धांत,
सब धरे रह जाएंगे
और कुछ लोग तुम्हें
चारे के गठरे में बांध कर ले जाएंगे

एक से बढ़कर एक पड़े हैं,
जैसे थे वो टेलिफोन वाले सुखराम,
इस देश को ऐसे चूस रहे सब,
जैसे हो आम,

आज साबरमती से भी बड़ा है,
हर एक दल का धाम,
इनके ठाठबाट देखकर
आप हो जाएंगे परेशान
और आपके मुख से
बिना गोली के ही निकल जाएगा,
हे राम, हे राम, हे राम,

4 comments:

  1. सही कहते हैं भाई आप ....

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  2. दिल को छु गया...

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  3. सही कहा है !! इनको न बुलाना ही ठीक है.

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  4. गांधीजी के सिद्धांतों का सबसे ज्यादा मखोल कांग्रेसी उडा रहे हैं। गांधीजी रघुपति राघव राजा राम में भरोसा रखते थे लेकिन उनके नाम पर वोट कबाडने वाली कांग्रेस कोर्ट में राम को एक काल्पनिक चरित्र होने का एफ़ेडेविट देती है। यह शर्मनाक स्थिति है।

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