Saturday, August 28, 2010

"धर्म"







ना राम  चाहिए उन्हें, ना रहीम चाहिए,
ना धर्म चाहिए उन्हें, ना ईमान चाहिए,
कुर्सी के भूखे भेड़िये हैं वो,
उन्हें तो धर्म के नाम पर,
लोगों की जान चाहिये,
ना राम चाहिए उन्हें, ना रहीम चाहिए.......

Monday, August 16, 2010

इतिहास के गवाह

खजुराहो का मन्दिर

इतिहास के गवाह प्राचीन आभूषणों पर अपना नाम लिख दें,
मोहब्बत की संगमरमरी दीवारों को पान से रंग  दें,
और शिल्पकारों की कब्रों पर जाकर करें प्रश्न,
अरे तुमने क्या नक्काशी की
अजंता की गुफाओ में, खजुराहो के मंदिरों में,
कोणार्क से लेकर ताज़महल की दीवारों तक,
अरे उठो और कब्र से बाहर आओ,
और देखो
साक्षरता की निशानी,
मेरे देश के लोग कितना पढ़ गये हैं,
उनके लिए ये धरोहर जैसे सड़ गये हैं,
तुम्हारे ही शिल्प के ऊपर बना दिया है दिल
और खींच दिया है तीर का बाण,
और मन नहीं भरा तो लिख दिया अपनी प्रेमिका का नाम,
तुम्हारी कला का क्या दिया है दाम,
ये पढ़े लिखे लोग कितने अनपढ़ हो गये है,
देश की अनमोल धरोहर प्राचीन आभूषणों पर
अपने काले नाम लिख गये है,
कला और कलाकार का कितना
अपमान कर रहे हैं,
और हम, तुम, वो, ये,सरकार सब,
कितना सहन कर रहे है,
आओ हम सब जाग जाएँ,
और अपने देश की अनमोल धरोहर को बचाएँ.

Sunday, August 8, 2010

" हवन"

हवन ही हवन में हवन हो गये
सभ्यता से मिले संस्कार ,
पता नही उनके कैसे गबन हो गये !
धर्म, एकता, अखण्डता, और शांति
बस बचे नाम के,
इनके अर्थ तो लगता है,
जैसे दफ़न हो गये,
इंसानों के बीच, इंसानियत से ही थी उम्मीद,
पर आज तो इंसान ही इंसान के क़फन हो गये,
हवन ही हवन में हवन हो गये,