Wednesday, December 29, 2021

मीडिया

 ""मीडिया""


ये मीडिया हैै भाई साहेब,

आप इसे देश भक्त ना समझे

ये सुझाव , या उपाय नहीं बताती

ये चिंगारी लगाती है,

धुआं उठने का इंतजार करती हैं


और आग लगाती है

भाई साहेब

राकेश श्रीवास्तव पुणे

१६/०९/२०२१.

मीडिया

 ""मीडिया""


ये मीडिया हैै भाई साहेब,

आप इसे देश भक्त ना समझे

ये सुझाव , या उपाय नहीं बताती

ये चिंगारी लगाती है,

धुआं उठने का इंतजार करती हैं

और आग लगाती है

भाई साहेब

राकेश श्रीवास्तव पुणे

१६/०९/२०२१.

भारत माता

 भारत माता"।      २१/१२/२१.

केसा लगता है भारत माता।
जब तुम्हारी संताने
रोज भरती हैं, "हुंकार"
करती है "दंगल"
उनकी असभ्य भाषा
कर देती है हमारे संस्कारों
को लहू लुहान।
बे रोज करते है अपमान
माताओं और बेटियों का,
पता नही किस मुंह से बोलते है
भारत माता की जय।
हर रेली में भाषण के बाद,
उनके चरित्र दागदार
उतारते है कपड़े एक दूसरे के।
मारते है ऐसे तीर जो 
दिल के हो जाते है "आर पार"
ये क्या किसी "वीर दास "से कम है
जो दुनिया में रोज उड़बाते हैं
भारत माता का मजाक।
कितनी अक्षम रही सरकारें
पकड़ नही पाती गद्दार
असली हिंदू, नकली हिंदू
हो जाय फैसला एक बार
नकली हिंदू,देश द्रोही,
खालिस्तानी, आतंकवादी।
मवाली, अवार्ड बापिसी गैंग।
टुकड़े टुकड़े गैंग।
सब को दे दो फांसी
और ले आओ तुम्हारा
राम राज्य।,
भारत मां मुबारक हो तुम्हे
असली हिंदू की सरकार।
सब एक दूसरे के खून के प्यासे
सदियों से।
सत्ता की भूख ने 
सदियों से लिखे
ना जाने कितने इतिहास।
असली हिंदू आओ
करो नकली हिंदू का
नर संहार।
भारत मां की जय जय कार।

राकेश श्रीवास्तव पुणे
२१/१२/२०२१.

Thursday, December 2, 2021

किसानों की हत्या""। ०३/१०/२०२१.

 किसानों की हत्या""।         ०३/१०/२०२१.



राजा तुम बांधे रहना आंखो पर पट्टी

कितने और बनेंगे जलियाबाले बाग

निहत्ते उस दिन भी आज भी थे

सूबेदार , सेनापति, रोंद रहें हैं

अन्नदाता आंदोलन कारी।

सिंहासन का नशा हो रहा कुरूर।

राजा की जिद्द और अहंकार

ले डूबेगा शांति,बिखरेगा खून

चारो तरफ।

आमने सामने होंगें

अन्नदाता, राजा कि सेना,

तानाशाही,चरम पर,

राजा ने आंख में बांध रखी है पट्टी।

दरबार में चल रहा है जश्न

चाणक्य चाल।

कुचल दो अन्नदाता को।

राजा का आदेश।

डर लगता हैं

फिर कही ना जन्म लेले

या जाग जाए

उधम, भगत, राजगुरु ,

बिरसा मुंडा,या मंगल,

कहीं मारे ना जाएं

शिखंडी मीडिया और पत्रकार

जो रोज़ लगा रहे हैं आग।

और दे रहे हैं अंधे राजा का साथ

डरो  मत और दो सत्य का साथ।

बिको मत जेसे भानु प्रताप।

याद है ना 

सद्दाम की  सत्ता का अहंकार।






राकेश श्रीवास्तव पुणे

०३/१०/२०२१.किसानों की हत्या""। ०३/१०/२०२१.



राजा तुम बांधे रहना आंखो पर पट्टी

कितने और बनेंगे जलियाबाले बाग

निहत्ते उस दिन भी आज भी थे

सूबेदार , सेनापति, रोंद रहें हैं

अन्नदाता आंदोलन कारी।

सिंहासन का नशा हो रहा कुरूर।

राजा की जिद्द और अहंकार

ले डूबेगा शांति,बिखरेगा खून

चारो तरफ।

आमने सामने होंगें

अन्नदाता, राजा कि सेना,

तानाशाही,चरम पर,

राजा ने आंख में बांध रखी है पट्टी।

दरबार में चल रहा है जश्न

चाणक्य चाल।

कुचल दो अन्नदाता को।

राजा का आदेश।

डर लगता हैं

फिर कही ना जन्म लेले

या जाग जाए

उधम, भगत, राजगुरु ,

बिरसा मुंडा,या मंगल,

कहीं मारे ना जाएं

शिखंडी मीडिया और पत्रकार

जो रोज़ लगा रहे हैं आग।

और दे रहे हैं अंधे राजा का साथ

डरो मत और दो सत्य का साथ।

बिको मत जेसे भानु प्रताप।

याद है ना 

सद्दाम की सत्ता का अहंकार।






राकेश श्रीवास्तव पुणे

०३/१०/२०२१.

कला और खेल"। २४/१०/२०२१.

 


तुम हार गई वीणा वादनी

मां सरस्वती।

तुम हर गए योगेश्वर

और तुम्हारी बांसुरी

तुम हार गए नटराज शिव

तुम्हारा तांडव पखावज,

सब उदास थे उस दिन

जब अमन की आशा पर

राजनीति ने  फ़ेखा अपना जाल ,

और कर लिए  कैद

बे सात स्वर जो सबके थे

एक जैसे।

बिल्कुल पानी और हवा की तरह

पवित्र,  

पर दुर्भाग्य राजनीति और नफरत ने

खीच दी एक रेखा, खड़ी कर दी एक दीवाल।

तड़पते रहे साज़

साहित्य और संगीत का कोन कद्रदान,

बस समाधियों पर और स्वागत समारोह

तक बची तुम्हारी पहचान

कहां आ गया मेरा हिंदुस्तान।

तुम हार गई  मां सरस्वती

उस्ताद बस्मिल्लाह, पंडित रवि शंकर,

भीमसेन, जसराज,

शिव हरी, ज़ाकिर, टैगोर, अमृता,

मंटो,

जीत गया पैसा, और राजनीति

और नफरत,

है कला संस्कृति, संस्कार से भरे भारत

कितना अकेला है तू

जेसे खेल प्रेम दिखया 

बस उसी तरह सात स्वरो का मिलाप करा दे

राजनीति और नफरत की ये दीवार गिरा दे।

जिस तरह दोनों देश के खिलाड़ियों ने

प्रेम से हात मिलाए

अब दिल भी मिला दे।

राजनीति से नफरत मिटा दे।

मिले स्वर मेरा तुम्हारा

तो स्वर बने हमारा,


राकेश श्रीवास्तव पुणे

१४/१०/२०२१.कला और खेल"। २४/१०/२०२१.


तुम हार गई वीणा वादनी

मां सरस्वती।

तुम हर गए योगेश्वर

और तुम्हारी बांसुरी

तुम हार गए नटराज शिव

तुम्हारा तांडव पखावज,

सब उदास थे उस दिन

जब अमन की आशा पर

राजनीति ने फ़ेखा अपना जाल ,

और कर लिए कैद

बे सात स्वर जो सबके थे

एक जैसे।

बिल्कुल पानी और हवा की तरह

पवित्र,  

पर दुर्भाग्य राजनीति और नफरत ने

खीच दी एक रेखा, खड़ी कर दी एक दीवाल।

तड़पते रहे साज़

साहित्य और संगीत का कोन कद्रदान,

बस समाधियों पर और स्वागत समारोह

तक बची तुम्हारी पहचान

कहां आ गया मेरा हिंदुस्तान।

तुम हार गई मां सरस्वती

उस्ताद बस्मिल्लाह, पंडित रवि शंकर,

भीमसेन, जसराज,

शिव हरी, ज़ाकिर, टैगोर, अमृता,

मंटो,

जीत गया पैसा, और राजनीति

और नफरत,

है कला संस्कृति, संस्कार से भरे भारत

कितना अकेला है तू

जेसे खेल प्रेम दिखया 

बस उसी तरह सात स्वरो का मिलाप करा दे

राजनीति और नफरत की ये दीवार गिरा दे।

जिस तरह दोनों देश के खिलाड़ियों ने

प्रेम से हात मिलाए

अब दिल भी मिला दे।

राजनीति से नफरत मिटा दे।

मिले स्वर मेरा तुम्हारा

तो स्वर बने हमारा,


राकेश श्रीवास्तव पुणे

१४/१०/२०२१.

बोलने की आजादी"

मेरा देश अच्छा है,सच्चा है  और शांत है।

बोलने की आजादी सबको हैं

ये मेरा संभिधान हैं।

कुछ भी बोलो,किसी को भी बोलो ।

 पूरी छूट हैं। राम नाम कि लूट हैं

लूट सके तो लूट।

भाषा बस संस्कारी नही होनी चाहिए

ये देश महापुरुष,

साधू, संतो, पीर, फकीरो  का है

सब भूल जाना चाहिए,

आदर्श , किताबो में रखो,

उनको बोलो वहीं अलमारी में सड़ो।

जाहिल , अनपढ़,बन जाओ,

नीच, हरामजादे, चोर। मवाली।

कुछ भी बोलो।

सब चलेगा।

तुमको इसके बदले

पुरुस्कार और अच्छा पद भी मिलेगा।

जितना नीचे गिरना  है गिरो

तुमको कोई डांटने 

या कान खींचने नहीं आएगा

मेरा देश अच्छा और सच्चा हैं

शांत है।

बोलने की आजादी सबको है

जिसका भी अपमान करना है करो

राम, कृष्ण, नानक, जीसस, रहीम

किसी  से न डरो।

तुम तो अनपढ़ जाहिल हो।

जो मर्जी करो।

तुम्हारे गवार, मवाली, नीच।

मां बाप को नाज़ है।

तुम बो ही कर रहे हो

जो तुम्हे सिखाया है।

बोलने की आजादी है 

खूब बोलो।

ये विरासत अपनी पीढ़ी को भी

देकर जाना,

मेरा देश महान है, सच्चा हैं, अच्छा हैं

संस्कारवान हैं

और ये सत्य ही उसकी पहचान है।


राकेश श्रीवास्तव पुणे

१७/११/२०२१.