Saturday, July 3, 2010

पीढ़ी बिगड़ गई


देखो हमारा वंश कितना आगे बढ़ गया,
देखते ही देखते चाँद पर चढ़ गया,
और हम अब तक पेड़ों पर कुलाटी मार रहे हैं ?
चलो हम भी कुछ दिखाए ................!

एक नौजवान बंदर बोला,
यार हम क्या कर पाएंगे............?
दूसरे बूढ़े बंदर ने राज खोला.........,
तुम्हें नही मालूम,
हमने ही बनाया था सागर पर सेतू
और गये थे उस पार,
चलो अब पत्थर पर पत्थर रखकर एक सीढ़ी बनाएँ,
चाँद तक जाए, देखकर आए,
हमारा वंश क्या कर रहा है,

तीसरा एक बंदर भोला
बड़े बूढ़ों के बीच में बोला........,
चांद पर अपन बाद में जाएंगे,
चलो कुछ दिन देश चलाएंगे,

एक सीनियर बंदर बोला, नादान..........,
देश चलाना नही है आसान,
मैं देख कर आया हूँ,
देश चलाने वाला भवन महान,
अरे देश चलाना है तो,
पहले सारे बंदरों को ,
जात-पात, और धर्म-प्रांत के नाम पर लड़ना पड़ेगा,
बोलो सबसे पहले कौन मरेगा ?
भाई से कौन भाई लड़ेगा ?
राम के आदर्श को छोड़ना होगा,
झूठ, फरेब, बेईमानी का देना होगा साथ
धार्मिक स्थानों पर मचाना होगा उत्पात,
बोलो ! क्या ये सब कर पाओगे ?
तभी देश चला पाओगे,

सब बंदरों की बातें सुन,
एक बूढ़ी बंदरिया की आँखें भर आई,
उसने अपने कुनबे पर एक नज़र घुमाई
बोली, क्या हमारा वंश यही सब कर रहा है ?
अपने समाज की सोचना छोड़ आपस में कट मर रहा है!
वो घबराई सी बोली नहीं नहीं,
हमें चाँद पर हरगिज़ नहीं जाना है,
ना यह देश चलाना है,
बस अपने प्यारे जंगल में,
शांति, एकता, और भाइचारे से रहते जाना है।

9 comments:

  1. धारदार व्यंग्य्…………………एक सुन्दर संदेश देता हुआ।
    कल के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट देखियेगा।

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  2. बहुत ही अच्छी कविता है..
    हास्य व्यंग के साथ-साथ बहुत बढियां सन्देश प्रस्तुत किया है आप ने..
    ***शुभकामनाएं***

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  3. Rakesh ji
    राकेश जी

    आपने किया था हुमसे एक वादा

    की देश का कुछ अच्छा रूप दिखाएंगे
    कीचड़ में खिलते कमाल से भी अवगत कराएंगे

    यदि देश में सभी कुछ व्यंग के लायक होता
    तो आम आदमी चैन की नींद नाही सोता

    अच्छे और बुरे का ये सांगम् है देश
    कुछ बंदर और कुछ सिकंदर का है ये देश
    कुछ बढ़ते हुए कदमो की और नज़र घुमाइये
    कुछ हम सब को स्वर्ग के भी दर्शन कराइए

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  4. तीखा व्यंग हास्य की चाशनी में लिपटा हुआ ..बहुत बढ़िया ..

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  5. Pal Pramod
    Dear Rakesh good poems................keep it up
    17 hours ago · LikeUnlike ·

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  6. Satpalsingh Bamrah
    Dear Bhaiyya. this is somrthing really nice and thought provoking

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  7. Satpalsingh Bamrah
    Dear Bhaiyya. this is somrthing really nice and thought provoking

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  8. Satpalsingh Bamrah
    Dear Bhaiyya. this is somrthing really nice and thought provoking

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  9. Dear Bhai jee.comment is very fine

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