जब तुम
पौधा केक्टस का लगाओगे ,
तो
जूही के फूलों की खुशबू
कहाँ से पाओगे,
वैसे भी तुमने
अपने जीवन को
केक्टस ही बना लिया है,
और
जूही के फूलों का गला
पता नहीं
क्यों कर दबा दिया है.
भोपाल से बी.एस.सी करने के बाद 1983 में पुणे के लिए प्रस्थान, फिलहाल एक ऑटोमोबाइल ग्लास कंपनी में मार्केटिंग का काम , पुणे में आकर 1995 मे साहित्य संगीत कला मंच की स्थापना, तब से लेकर अब तक तीनो विधाओं के अनेक कार्यक्रम आयोजित, पुणे में हिन्दी कवि सम्मेलनों का आयोजन, आमंत्रित कवियो मे पद्मश्री गोपाल दास नीरज,किसन सरोज, निदा फ़ाज़ली, बालकवि बैरागी, वीनू महेन्द्र, घनश्याम अग्रवाल, कैलाश सेंगर, वी पी सिंह, सुभाश काबरा, सुरेन्द्र शर्मा , डॉक्टर दामोदर खड़से, सुनील केशव देवधर, संजय भारद्वाज, प्रदीप चौबे एवं स्वर्गीय श्री शैल चतुर्बेदी, जैसे अनेक बड़े कविओ को पुणे आमंत्रित करने का सौभाग्य, संगीत के भी अनेक कार्यकमों का आयोजन, उस्ताद उस्मान खान, गुन्देचा बंधु, पंडित पद्माकर कुलकर्णी, अलका देव मारुलकर, कश्यप बंधु, मंजरी आवलेगॉवकर, ओमिनो मनीष, रुक़िया खान, मिलिंद तुलांकार, ड्रा राजेन्द्र तेरेदेसाई, एवं अनेक कलाकारों के संगीत कार्यक्रम आयोजित करने का सौभाग्य, स्वयं, कविता लिखने का शौक, आकाशवाणी, दूरदर्शन एवं अनेक मंचों से कविता पढ़ने का अवसर प्राप्त । ईवेन्ट मेनेजमेंट के तहत अनेक प्रयोगों का अनुभव। सम्पर्क- एफ-9, एकता सी, एकता सोसायटी एम आय डी सी, चिंचवड़ पुणे-411019 दूरभाष-(020) 30684224, 9370120958
सच में..मगर अब पछताये क्या होत है..
ReplyDeleteअच्छी रचना.