मेरा देश अच्छा है,सच्चा है और शांत है।
बोलने की आजादी सबको हैं
ये मेरा संभिधान हैं।
कुछ भी बोलो,किसी को भी बोलो ।
पूरी छूट हैं। राम नाम कि लूट हैं
लूट सके तो लूट।
भाषा बस संस्कारी नही होनी चाहिए
ये देश महापुरुष,
साधू, संतो, पीर, फकीरो का है
सब भूल जाना चाहिए,
आदर्श , किताबो में रखो,
उनको बोलो वहीं अलमारी में सड़ो।
जाहिल , अनपढ़,बन जाओ,
नीच, हरामजादे, चोर। मवाली।
कुछ भी बोलो।
सब चलेगा।
तुमको इसके बदले
पुरुस्कार और अच्छा पद भी मिलेगा।
जितना नीचे गिरना है गिरो
तुमको कोई डांटने
या कान खींचने नहीं आएगा
मेरा देश अच्छा और सच्चा हैं
शांत है।
बोलने की आजादी सबको है
जिसका भी अपमान करना है करो
राम, कृष्ण, नानक, जीसस, रहीम
किसी से न डरो।
तुम तो अनपढ़ जाहिल हो।
जो मर्जी करो।
तुम्हारे गवार, मवाली, नीच।
मां बाप को नाज़ है।
तुम बो ही कर रहे हो
जो तुम्हे सिखाया है।
बोलने की आजादी है
खूब बोलो।
ये विरासत अपनी पीढ़ी को भी
देकर जाना,
मेरा देश महान है, सच्चा हैं, अच्छा हैं
संस्कारवान हैं
और ये सत्य ही उसकी पहचान है।
राकेश श्रीवास्तव पुणे
१७/११/२०२१.
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