"पत्रकार"। ५/१/२०२२
उसके पास बो सब खबर है।
जो सरकार के पास नहीं।
पुलिस, सुरक्षा एजिंसीज।
के पास भी नहीं।
उसे पता है ये हत्या का प्लान हैं।
जांच शुरू नहीं, अदालत नहीं।
जज नहीं, गवाह नहीं।
उसने देश द्रोह का इल्ज़ाम
भी लगा दिया,और सजा भी सुना दी।
प्रबक्ता उसका अपना है
या ये प्रवक्ता का अपना हैं।
टी वी उन दोनो का हैं
नफरत, जहर, सनसनी।
उत्तेजना,फेलाना शुरू कर दिया है।
दंगा भड़काना उनका ।
संस्कार, संस्कृति, का हिस्सा है।
कुर्सी के लिए जवानों, पुलिस,
किसान, मजदूर, की हत्या।
उनका चरित्र है
आगजनी, लूटपाट,
उनकी स्पेशल ट्रेनिंग है।
पत्रकार उनके साथ है।
शराब है, शबाब हैं ,पैसा है,
कुत्ते बांधने का बैल्ट है,
स्टोरी पूरी सेट है।
किसकी आवाज़ दवानी है
किसकी सुनानी है
रिमोट उसके पास है।
पैनल है। प्रबक्ता है, एक्सपर्ट है।
सरकारी खजाना हैं,
जितना लुटाना है लुटाओ।
प्रजा का सवाल मत उठाओ।
बस ये धर्म ईमानदारी से निभाओ।
अदालत के फैसले से पहले
अपने फैसले सुनाओ।
इतनी नफरत भर दो।
बो किसी की मां बेटी की कीमत लगाए
नए नए ऐप बनाए।
वे रोज इतनी नफरत फेला रहें हैं।
धीरे धीरे देश जला रहे हैं।
सलाह,सुझाव,का एक शब्द नहीं बोलते
बे आग में घी झोकते।
सब पत्रकारिता का धर्म नही निभा रहे है
उनके प्रोग्राम दंगल, हुंकार, टक्कर,ताल ठोक के।
पूछता है भारत,
भारत को विकास की और नहीं।
विनाश की और ले जा रहे है।
जो भी सभ्यता, संस्कृति, प्रेम भाव बचा था
देश में ये उसे भी मिटा रहे है।
अदालत के फैसले से पहले
अपने फैसले सुना रहे।
ये देश को बचा नही रहे
ये देश जला रहे हैं।
ये सच्चे पत्रकार नहीं।
ये देश जला रहे है।।
राकेश श्रीवास्तव पुणे
५/१/२०२२
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